Picture: prathameshjaju/Instagram

मुबंई: दुनिया की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा मून- रोवर बनाने की तैयारी कर रही है। इस मून- रोवर का नाम लूनर क्रूजर (Lunar Cruiser) दिया गया है। साल 2019 में टोयोटा और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने हाइड्रोजन से चलने वाले एक मून रोवर (Moon Rover) को डेवलप करने की घोषणा की थी। टोयोटा कंपनी अब इसे डेवलप करने जा रही है। यह मून रोवर अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा या मंगल ग्रह पर रहने और खोज करने में मदद करेगा। इस लूनर क्रूजर में टोयोटा रिजेनरेटिंग फ्यूल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है, जो कि इसे और भी खास बनाता है। 

लूनर रोवर और प्रोजेक्ट की डिटेल्स:

टोयोटा का यह मून- रोवर जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साझेदारी की है। अमेरिका और चीन के बीच उभरती स्पेस रेस के जवाब में जापान अपनी महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाना चाहता है। जापान इस आउटपोस्ट पर अपने अंतरिक्ष यात्री को भेजने की योजना बना रहा है और JAXA के माध्यम से, आर्टेमिस मिशन पर अमेरिका के साथ मिलकर काम भी कर रहा है। टोयोटा ने एक मीडिया एजेंसी को बताया कि हमारा लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर और बाद में, मंगल ग्रह पर मानव की उपस्थिति बनाए रखने में मदद करने के लिए एक खास वाहन को तैयार करना है और यहीं से लूनर क्रूजर की तैयारी शुरू होती है।

अंतरिक्ष सूट पहनने की आवश्यकता नहीं होगी 
इस मिशन के लिए टोयोटा एक ऐसे मून रोवर को तैयार कर रहा है जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को अंदर अंतरिक्ष सूट पहनने की आवश्यकता नहीं होगी। इसमें लगभग 460 क्यूबिक फीट रहने की जगह होगी – यह आपातकालीन स्थिति में चार लोगों के लिए पर्याप्त होगा, लेकिन आइडियली इसमें दो लोगों के लिए जगह दी जाएगी। इस रोवर का उपयोग मुख्य रूप से यह देखने के लिए कि क्या अंतरिक्ष यात्री जमे हुए पानी और अन्य संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं।

रोवर का वजन तकरीबन 10 टन तक हाे सकती है। साथ ही इसे ऐसा तैयार किया जा रहा है कि, ये चंद्रमा पर धूल भरे वातावरण और अत्यधिक तापमान का भी आसानी से सामना कर सके और अंतरिक्ष यात्री सरल और सुरक्षित तरीके से अपने खोज के कार्यों को जारी रख सकें। चंद्रमा पर दबावयुक्त यानी कि प्रेशराइज़्ड (Pressurized) रोवर पहली बार भेजा जाएगा।

सोलर सिस्टम से युक्त होगा लूनर-क्रूजर
अंतरिक्ष अभियानों में भेजे जाने वाले रोवर्स आमतौर पर बिजली पैदा करने के लिए सोलर पेनल्स का इस्तेमाल करते हैं। दिन के समय ये सोलर बैटरी को चार्ज करते हैं और रात में स्टोर की गई एनर्जी का एस्तेमाल मूवमेंट या फिर टेंप्रेचर मेंटेन करने के लिए किया जाता है। हालांकि, चंद्रमा पर एक रात पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है, और ऐसे में बैटरी की एनर्जी को स्टोर रखना असंभव तो नहीं लेकिन बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में एक खास तकनीकी की जरूरत है और टोयोटा का दावा है कि, वो इसी के समाधान पर काम कर रहा है।

NASA की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एक प्रेशराइज़्ड रोवर अंतरिक्ष यात्रियों को रहने और काम करने के लिए एक ऐसा जगह प्रदान करेगा ताकि वो लंबे समय तक चंद्रमा की सतह पर अभियान चला सकें। इस बारे में JAXA के अध्यक्ष हिरोशी यामाकावा ने मार्च 2019 में कहा था कि एक प्रेशराइज़्ड रोवर वाला केबिन एक ऐसा एलिमेंट हैं जो चांद की सतह पर खोज और उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

पानी का होगा फ्यूल जैसा इस्तेमाल
लूनर क्रूजर पर टोयोटा के ताजा अपडेट के मुताबिक, इसमें रीजेनरेटिंग फ्यूल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। चालक दल चंद्रमा पर लंबे दिनों के दौरान इलेक्ट्रोलिसिस प्रॉसेस के जरिए पानी (H2O) को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग होगा और इसे फ्यूल सेल में स्टोर किया जाएगा जिसका इस्तेमाल रात में किया जाएगा। फिर फ्यूल सेल में स्टोर की गई एनर्जी को बिजली में परिवर्तित किया जाएगा और रोवर को पावर देने के लिए इसका उपयोग किया जाएगा, लेकिन इससे पहले लूनर रोवर उस पानी का इस्तेमाल करेगा जो उसके साथ पृथ्वी से भेजा जाएगा।

लूनर क्रूजर का मिशन लाइफ 10 साल
भविष्य में टोयोटा ने अपने रोवर को पावर देने के लिए लूनर पोल्स (Lunar Polse) से   निकाले गए बर्फ का पानी के रूप में भी उपयोग कर सकता है।  लूनर क्रूजर का मिशन लाइफ 10 साल का हो सकता है और वह चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए साल में 42 दिन से अधिक काम करेगा। इसके लिए बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होगी।





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