नई दिल्ली : सौरमंडल में अक्सर कुछ न कुछ होता रहता है। इन खगोलीय घटनाओं पर शोध व चर्चाएं होती रहती हैं। कुछ ऐसा ही आजकल शनि को दिखने या न दिखने को लेकर हो रहा है। यदि आपके पास एक दूरबीन हो तो आसमान में वलय वाले ग्रह – शनि को देखने के साथ साथ और भी कई शानदार चीजें देख सकते हैं। वर्तमान समय में, शनि शाम के समय आकाश में सूर्यास्त के तुरंत बाद देखा जा सकता है, क्योंकि उस समय वह अपने उच्चतम स्तर पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
हमारे सौरमंडल के छठें ग्रह और उसके प्रसिद्ध छल्लों का अच्छा दृश्य देखने के लिए टेलीस्कोप या दूरबीन का उपयोग करके आप इस शानदार पल को अनुभव कर सकते हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर कई लेख जंगल की आग की तरह फैल रहे हैं कि शनि के छल्ले तेजी से गायब हो रहे हैं और 2025 तक आते-आते सारे छल्ले गायब हो जाएंगे। इन सभी लेखों में ऐसा का दावा किया जा रहा है कि शनि के छल्ले तेजी से गायब हो रहे हैं – और 2025 तक सारे छल्ले गायब हो जाएंगे.. तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इसके पीछे असली कहानी क्या है..? क्या वाकई अगले कुछ महीने ऐसा होने वाला है..?
2025 में गायब हो जाएंगे छल्ले
हालांकि इस बाते में सच्चाई है कि 2025 में छल्ले पृथ्वी से लगभग अदृश्य हो जाएंगे, यह न तो कोई आश्चर्य की बात है और न ही घबराने की बात है। इसके तुरंत बाद यह छल्ले ‘‘फिर से प्रकट” होते दिखायी देंगे। इसकी वजह यह है कि पृथ्वी के झुके होने से यह कुछ समय के लिए दिखना बंद होगा। यह सबकुछ एक खगोलीय घटना के तहत होगा। इसके पीछे कोई और कारण नहीं है।
Saturn’s rings are going to fade from our view in 18 months, however don’t panic, it’s simply an optical phantasm. 🪐
Come March 2025, Saturn’s iconic rings can be rendered invisible from our terrestrial perspective because of the planet’s tilt inside its axis of orbit. 1/ pic.twitter.com/CzwGhznPvN
— Erika #PlanetaryDefense 🎯 (@ExploreCosmos_) November 7, 2023
आइए सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की अपनी निरंतर यात्रा पर विचार करके इस जानकारी को समझने की कोशिश करें। यह यात्रा हमें ऋतुओं के पार ले जाती है – जैसे सर्दी के बाद वसंत, वसंत के बाद गर्मी, गर्मी के बाद बरसात और फिर शरद ऋतु आ जाती है। ऋतुओं के बदलने का क्या कारण है..? सीधे शब्दों में कहें तो पृथ्वी के घूमने और एक तरफ झुकी होने के कारण ऐसा होता है। धरती हमारी भूमध्य रेखा पर हमारी कक्षा के तल से लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई है।
ये है असली कारण
जैसे ही धरती सूर्य के चारों ओर घूमती है तो हम भी घूमते हैं। इसी कारण से हम बारी-बारी से एक गोलार्ध और फिर दूसरे गोलार्ध को अपने तारे की ओर झुकते हुए देखते हैं। जब आपका घरेलू गोलार्ध सूर्य की ओर अधिक झुका होता है, तो आपको रात की तुलना में लंबे दिन मिलते हैं और वसंत और गर्मी का अनुभव होता है। जब आप दूर की ओर झुके होते हैं, तो आपको छोटे दिन और लंबी रातें मिलती हैं। साथ ही शरद ऋतु और सर्दियों का अनुभव होता है। इसके अलावा सूर्य के दृष्टिकोण से, पृथ्वी ऊपर और नीचे ‘‘हिलती” प्रतीत होती है, और हमारे तारे के चारों ओर घूमते समय बारी-बारी से अपने गोलार्धों को दिखाती है।
अब जानिए शनि का असली चक्कर
ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वी की तरह ही, शनि पर भी ऋतुओं का अनुभव होता है, लेकिन हमारी तुलना में 29 गुना अधिक समय तक उसका प्रभाल दिखता है। जहां पृथ्वी की भूमध्य रेखा 23.5 डिग्री झुकी हुई है, वहीं शनि की भूमध्य रेखा 26.7 डिग्री झुका हुआ है। इसके कारण जैसे ही शनि हमारे तारे के चारों ओर अपनी 29.4-वर्षीय कक्षा में घूमता है, यह पृथ्वी और सूर्य दोनों से देखे जाने पर ऊपर और नीचे सिर हिलाता हुआ भी दिखाई देता है।
…on Planet Earth is certainly as we’ve seen and comprehend it.
The FLAT REGION of EARTH is THE INVISIBLE RINGS circling round Earth, just like the Saturn Rings. No Scientist know this but and I’m first advised and anticipated to do QUANTUM MECHANICS to clarify the Scrodinger Cat. pic.twitter.com/hnrcIgSFdp
— Nusrat Howard-Moore (@NusratHMoore) June 10, 2020
जानिए शनि के छल्लों के बारे में
ग्रह के विशाल वलय प्रणाली में बर्फ के टुकड़े, धूल और चट्टानें शामिल होती हैं। ये एक दूसरे से बड़ी दूरी तक फैली हुई हैं। यह शनि ग्रह से केवल 2,80,000 किमी से अधिक दूरी तक है। लेकिन ये बहुत पतली सी हैं। कहते हैं कि अधिकांश स्थानों पर, केवल 10 मीटर मोटाई जैसी हैं। वलय सीधे शनि की भूमध्य रेखा के ऊपर परिक्रमा करते हैं और इसलिए वे भी शनि की कक्षा के समतल की ओर झुके हुए हैं।
इसलिए गायब होते हैं शनि के छल्ले
छल्ले इतने पतले हैं कि दूर से देखने पर किनारे लगते ही गायब हो जाते हैं। आप कागज की एक शीट को पकड़कर, उसे तब तक घुमाते हुए आसानी से इसकी कल्पना कर सकते हैं जब तक कि वह किनारे पर न आ जाए – कागज दृश्य से लगभग गायब हो जाता है। जैसे ही शनि सूर्य के चारों ओर घूमता है, हमारा दृष्टिकोण बदल जाता है। कक्षा के आधे भाग के हिसाब से इसका उत्तरी गोलार्ध हमारी ओर झुका हुआ है और ग्रह के छल्लों का उत्तरी चेहरा हमारी ओर झुका हुआ है। जब शनि सूर्य के दूसरी ओर होता है, तो उसका दक्षिणी गोलार्ध हमारी ओर निर्देशित होता है। इसी कारण से, हम ग्रह के छल्लों का दक्षिणी चेहरा हमारी ओर झुका हुआ दिखायी देता हैं।
ऐसे करें प्रयोग
इसे स्पष्ट करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप कागज की एक शीट लें और इसे क्षैतिज रूप से – जमीन के समानांतर – आंखों के स्तर पर पकड़ें। अब कागज को कुछ इंच नीचे जमीन की ओर सरकाएं। आप क्या देखते हैं..? कागज़ का ऊपरी भाग देखने में आता है। कागज को अपनी आंखों की रेखा से होते हुए वापस ऊपर ले जाएं, ताकि वह आपके ऊपर रहे और आप कागज के नीचे का भाग देख सकें। लेकिन जैसे ही यह आंख के स्तर से गुजरेगा, कागज लगभग गायब हो जाएगा।
यही हम शनि के छल्लों के साथ देखते हैं। जैसे-जैसे शनि पर मौसम आगे बढ़ता है, हम छल्लों के दक्षिणी हिस्से के झुकाव से हटकर उत्तरी हिस्से को देखने लगते हैं। फिर, ग्रह एक बार फिर दक्षिणी पक्ष को प्रकट करते हुए पीछे की ओर झुक जाता है। प्रति सैटर्नियन वर्ष में दो बार, हम छल्लों को किनारे पर देखते हैं और वे सभी दृश्य से गायब हो जाते हैं।
2025 में यही होने वाला है
शनि के छल्लों के ‘‘गायब” होने का कारण यह है कि हम उन्हें किनारे से देख रहे होंगे। ऐसा नियमित रूप से होता है। आखिरी बार 2009 में ऐसा ही हुआ था और कुछ महीनों के दौरान छल्ले धीरे-धीरे फिर से दिखाई देने लगे। मार्च 2025 में छल्लों की वापसी का क्रम फिर से चालू होगा। फिर वे धीरे-धीरे दृश्य में वापस आ जाएंगे। इनको बड़ी दूरबीनों के माध्यम से देखा जा सकता है। इसके बाद, छल्ले धीरे-धीरे अधिक से अधिक स्पष्ट हो जाएंगे, आने वाले महीनों में सबसे बड़ी दूरबीनों में फिर से दिखाई देंगे। चिंता की कोई बात नहीं। यदि आप शनि के छल्लों को स्पष्ट रूप से देखना चाहते हैं, तो अब आपके पास सबसे अच्छा मौका है। इसके बाद इसे 2027 या 2028 तक देख सकते हैं।