नई दिल्ली: जहां एक तरफ चंद्रयान-3 (Chandrayan 3) की सफल सॉफ्ट लैंडिंग करके भारत ने बीते 23 अगस्त 2023 को एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया। दरअसल अब वह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने वाला पहला देश बन चूका है। महज लैंडिंग ही नहीं, भारत का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की मिट्टी पर जरुरी प्रयोग भी किये हैं।
चंद्रयान-3 के बाद चंद्रयान-4 की तैयारी
वहीं चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद अब भारत पूरे जोश-खरोश के साथ चंद्रयान-4 की तैयारी कर रहा है। लेकिन इस बार भारत अकेला चांद पर नहीं जा रहा है। बल्कि इस सफ़र में उसका दोस्त जापान भी हमसफ़र बनेगा. जी हां ISRO यह मिशन जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ मिल कर चलाएगा। जी हां, जापानी स्पेस एजेंसी के मुताबिक, JAXA अब भारत के ISRO के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि चांद पर पानी है भी या नहीं।
🎊We’ve created LUPEX rover mission emblem 🎊
There are 2 varieties✨
The primary is a trendy and delicate design.
You possibly can obtain it from the hyperlink under 🌕https://t.co/Q0UdxcSgAz pic.twitter.com/m8wNrvtUC9— Lunar Polar Exploration@JAXA(LUPEX) (@lupex_jaxa) October 20, 2023
क्या है LUPEx
यह ख़ास मिशन लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEx) मिशन के नाम से जाना जाने वाला है। लेकिन अब चंद्रयान-3 की कामयाबी के आधार पर ही चंद्रयान-4 को बनाया जाएगा। चंद्रयान-3 के लैंडर का पेलोड जहां चांद का तापमान, थर्मल कंडक्टिविटी, भूकंप की जानकारी इकट्ठा कर चूका है। वहीं, रोवर चांद की मिट्टी में मौजूद तत्वों का भी पता लगा लिया है। कई मायनों में भारत के लिए अब चंद्रयान-3 भविष्य के मिशन के रास्ते खोलने में अग्रसर है। ऐसे में अब ISRO और JAXA पानी के संकेतों की जांच के लिए चंद्रमा के सतह की अपनी जांच करेंगे।
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ऐसा होगा यह मिशन
वहीं इस मामले पर मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो JAXA के अनुसार, LUPEX का काम पानी और अन्य संसाधनों के लिए चांद की सतह पर खोज करना। साथ ही चांद की सतह पर घूमने में विशेषज्ञता हासिल करना है। यह प्रोजेक्ट अंतरराष्ट्री साझेदारी का है, जिसके तहत JAXA ने लूनर रोवर की जिम्मेदारी लेगा और भारत से ISRO लैंडर तैयार करेगा, जो रोवर को लेकर जाएगा।
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जानें लॉन्च और लॉन्च व्हीकल के बारे में
इस बाबत जापानी स्पेस एजेंसी के मुताबिक, LUPEX को साल 2025 में H3 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जा सकता है। रोवर को मिलाकर इसके पेलोड का कुल वजन 350 किलोग्राम से ज्यादा का होगा। साथ ही यह अब यह 3 महीनों से ज्यादा समय तक काम करेगा।
A brand new article in No. 92 problem of the journal “#JAXAs” is now obtainable: Introducing the Lunar Polar Exploration (#LUPEX) venture, exploring the #Moon for water and different sources in cooperation with #ISRO.#JAXAhttps://t.co/xJksidQKxJ pic.twitter.com/8ATSvOwsVg
— JAXA(Japan Aerospace Exploration Company) (@JAXA_en) September 19, 2023
दिलचस्प बात यह रहेगी कि LUPEX भी चांद के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र में लैंड करेगा, जहां पहुंचने का कीर्तिमान तो भारत पहले ही स्थापित कर चुका है। इस मिशन में ISRO की ओर से सैंपल एनालिसिस पैकेज (ISAP), ग्राउंड पैनेट्रेटिंग रडार (GPR) और मिड-इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर जाएंगे। जबकि NASA न्यूरोन स्पेक्ट्रोमीटर (NS) और ESA एक्सोस्फेरिक मास स्पेक्ट्रोमीटर फॉर लुपेक्स (EMS-L) भेजेगा।
रॉकेट ईंधन से जुड़ा है मिशन
दरअसल यह मिशन बर्फ के इस्तेमाल से रॉकेट ईंधन बनाने की क्षमता से जुड़ी जांच करेगा। वहीं चंद्रयान 4 का रोवर 1.5 मीटर ड्रिल से लैस होगा जो चंद्रमा के चट्टानों की जांच करेगा। यह चंद्रमा की चट्टानों को गर्म करके उसमें वाष्पित होने वाले तत्वों की भी जांच करेगा।
फिलहाल क्या कर रहा चंद्रयान-3
जानकारी दें कि ISRO ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से जुलाई में चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था, जिसने 23 अगस्त को चांद की सतह पर लैंडिंग की। करीब 14 दिन (चांद का 1 दिन = पृथ्वी के 14 दिन) तक रोवर प्रज्ञान ने जरुरी जानकारियां जुटाईं। इसके बाद सितंबर की शुरुआत में इसे स्लीप मोड में डाल दिया गया था। फिलहाल, भारतीय स्पेस एजेंसी दोनों को दोबारा जगाने की कोशिश में लगी हुई है। हालांकि ISRO पहले ही बता चूका है कि अगर प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर नहीं जागते हैं, तो भी चंद्रयान-3 मिशन सफल माना जाएगा।