दिल्ली: आज टेक्नोलॉजी (Know-how) काफी विकसित हो चुकी है। जो चीजें कुछ समय पहले इंसानों के लिए संभव नहीं थीं, अब टेक्नोलॉजी के कारण धीरे-धीरे संभव हो रही हैं। अब एक मशीन विकसित किया गया है जो ब्लड के सैंपल में कैंसर (Blood Most cancers) सेल का पता लगा सकता है। इससे बायोप्सी (Bone Marrow Biopsy) सर्जरी की संभावना कम हो सकती है। उनिवेर्सित्य ऑफ़ टेक्नोलॉजी के साइंटिस्ट द्वारा बनायीं गयी इस डिवाइस (System) से डॉक्टरों (Physician) को ट्रीटमेंट (Therapy) में मदद कर सकता है। इस डिवाइस के बारे में जानकारी हाल ही में जर्नल बायोसेंसर्स एंड बायोइलेक्ट्रॉनिक्स में पब्लिश हुई थी।
देश में नौ में से एक व्यक्ति को कैंसर होने की संभावना
यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार 2023 में भारत (India) में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 14,61,427 होने का अनुमान है। कहा गया है कि देश में नौ में से एक व्यक्ति को कैंसर होने की संभावना होती है। NIH के नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार, वर्तमान में कैंसर का उपचार तीन तरीकों से किया जाता है। इसमें लेबोरेटरी टेस्ट (Lab Check), इमेजिंग टेस्ट और बायोप्सी (biopsy) हैं। जब किसी व्यक्ति को संदेह होता है कि उसे कैंसर है, तो एक उपचार करने के लिए सर्जरी (Surgical procedure) की आवश्यकता होती है। इस डिवाइस का नाम ‘स्टेटिक ड्रॉपलेट माइक्रोफ्लूडिक’ (Static Droplet Microfluidic Machine) है। डिवाइस तेजी से ट्यूमर सेल (Tumors Cell) का पता लगा सकता है जो ट्यूमर से दूर चले गए हैं और ब्लड में प्रवेश कर चुके हैं। डिवाइस ब्लड सेल से ट्यूमर सेल को अलग करने के लिए कैंसर के मार्करों का उपयोग करता है।
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एक लीटर ब्लड में एक ट्यूमर सेल
सिडनी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के डॉ. माजिद वर्कियानी ने कहा कि कैंसर सेल्स बहुत ज्यादा ग्लूकोज (Glucose) का उपयोग करती हैं और अधिक लैक्टेट (Lactet) का बनाती है। वरकियानी ने कहा कि अरबों ब्लड सेल्स के बीच सिर्फ एक लीटर ब्लड में एक ट्यूमर सेल हो सकती है। इससे ट्यूमर सेल्स का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। वर्कियानी ने बताया कि नई टेक्निक (New Method) में ब्लड में 38,400 सेल्स होते हैं, जो कई एक्टिव ट्यूमर सेल (Lively Tumor Cell) को अलग करने में सक्षम होते हैं। एक बार इस मशीन (Machine) से ट्यूमर सेल्स की पहचान हो जाने के बाद जेनेटिक टेस्ट (Generic Check) किया जाता है। यह कैंसर का उपचार करने में मदद कर सकता है और डॉक्टरों को एक उपचार योजना बनाने में मदद कर सकता है।