बीजेपी सूत्रों का कहना है कि आलाकमान स्थिति का आकलन नहीं कर पाने के कारण कतील से पूरी तरह खफा है। कतील के पूरे कार्यकाल में पार्टी ने उनका समर्थन किया था और यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और वरिष्ठ नेताओं को भी उनके सामने घुटने टेकने पड़े थे। पार्टी ने येदियुरप्पा और उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को कतील पर भारी पड़ने का कोई मौका नहीं दिया।
सूत्रों ने कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजों ने उनकी राह पलट दी है। हालांकि, बीजेपी शुरुआत में मजबूती दिखा रही थी, लेकिन वह राज्य में अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस ने आक्रामक तरीके से लिंगायत, दलित और ओबीसी वोट बैंक पर कब्जा कर लिया और वह लोकसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार कर रही है।