सीएजी रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे के लिए करीब 32,839 करोड़ रुपए एनएचएआई के स्तर से ही मंजूर कर दिए गए जबकि कैबिनेट कमेटी ने भारतमाला प्रोजेक्ट की मंजूरी में इसे शामिल नहीं किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, “सीसीईए ने भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत कुल 76,999 किलोमीटिर नेशनल हाईवे बनाने को मंजूरी दी थी, जिसमें से फिलहाल एनएचएआई कुल 70,950 किलोमीटर मार्ग को विकसित कर रहा है और अपने ही स्तर से निर्माण के तौर-तरीके तय कर रहा है।” सीएजी के ऑडिट में कहा गया है कि एनएचएआई बिना किसी वैध तर्क के अपने स्तर से निर्माण करने के तरीकों को तय कर रहा है।
सीएजी ने यह भी कहा है कि एनएचएआई ने बिना किसी तकनीकी और वित्तीय अनुमोदन के ही निविदा आमंत्रण नोटिस जारी किए। रिपोर्ट के अनुसार, “जिन एक्सप्रेसवे के लिए ऐसा किया गया उनमें शामली-मुजफ्फरनगर और दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे शामिल हैं।”