बल्कि, तीन मुस्लिम बहुल सीटों पर संतों को मैदान में उतारा गया है। भगवा पार्टी के नेताओं ने कहा कि इसे ध्रुवीकरण के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिससे लंबे समय में भाजपा को फायदा होने की उम्मीद है। पोखरण में, पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान, केवल 872 वोटों ने जीत मिली थी। लेकिन इसबार एक हिंदू संत को एक मुस्लिम धार्मिक नेता के बेटे के खिलाफ खड़ा किया गया है।

कांग्रेस के मौजूदा विधायक सालेह मोहम्मद का मानना है कि लोग धार्मिक आधार पर नहीं बल्कि उनके विकास कार्यों के लिए वोट करेंगे। वह सीट पर सत्ता विरोधी रुझान को कम करने की उम्मीद कर रहे हैं।

अनुमान है कि पोखरण में लगभग 2.22 लाख मतदाता हैं, उनमें से अधिकांश मुस्लिम या राजपूत हैं। यहां करीब 60,000 मुस्लिम, 40,000 राजपूत, 35,000 एससी/एसटी, 10,000 जाट, 6,000 बिश्नोई, 5,000 माली और 3,000 ब्राह्मण मतदाता हैं। स्थानीय मुद्दे और पिछले पांच वर्षों में लोगों के साथ नेताओं के व्यक्तिगत संबंध भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।



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