मौजूदा सियासी हालात में शरद पवार को लोकसभा चुनाव तक पार्टी की नब्ज को पकड़े रहना होगा। ऐसे में शरद पवार वहीं कर हैं जिसमें वे माहिर हैं, यानी बीजेपी समेत सभी को भ्रम में डाल देना।

लेकिन इस कदम से उन्हें कांग्रेस के नेताओं का समर्थन भी मिला है जो अन्यथा उन्हें लेकर आशंकित हो सकते थे, वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना तो एक तरह से उनके ही ऊपर निर्भर है। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने पवार के इस्तीफे पर दुख व्यक्त किया है और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, जिनके पिता पवार के कांग्रेस को विभाजित करने से पहले पार्टी के प्रतिद्वंद्वी थे, ने भी कहा है कि महा विकास अघाड़ी को कम से कम अगले लोकसभा चुनाव तक शरद पवार की जरूरत है।

पवार ने अपने राजनीतिक पत्ते बहुत सावधानी से चले हैं, कभी उनके अगले कदम की भनक तक नहीं लगी है। और मंगलवार को घोषणा को सुनकर भी उनके दाएं हाथ प्रफुल्ल पटेल भी  अवाक ही रह गए।

अभी इस राजनीतिक घटनाक्रम का पूरा एपिसोड सामने आना बाकी है, और उनके समर्थकों को भरोसा है कि शरद पवार के पास अभी बहुत से ऐसे पैंतरे बाकी हैं, जिनके बाद ही इस दृश्य का पटाक्षेप होगा।

(संतोषी गुलाबकली मिश्रा के इनपुट के साथ)



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