‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ की कहानी

हमारे देश में धार्मिक गुरुओं की आम जनता के बीच जबरदस्‍त मान्यता है। फिर चाहे वह किसी भी धर्म के क्यों ना हों। यह फिल्म भी एक ऐसे ही धर्मगुरु की कहानी कहती है, जो सत्य घटनाओं से प्रेरित है। फिल्म में एक भक्त परिवार की नाबालिग लड़की बाबा के आश्रम द्वारा चलाए जाने वाले स्कूल में पढ़ती है। एक दिन लड़की पर भूत प्रेत का साया बताकर उसे बाबा के आश्रम भेजा जाता है, जहां बाबा उसके साथ ज्‍यादती करता है। बाबा की इस शर्मनाक हरकत पर एक बार को लड़की और उसका परिवार यकीन नहीं कर पाते, लेकिन फिर वे हिम्मत जुटाकर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाते हैं। यहां से पीड़ित लड़की और उसके परिवार की बाबा से जंग की शुरुआत होती है।जाहिर है कि धन-बल से सक्षम बाबा को बचाने में पूरा अमला जुट जाता है। जोधपुर की अदालत में चल रहे मुकदमे में जब पीड़िता की ओर से पेश होने वाला सरकारी वकील मामले में मोटी कमाई करने में जुट जाता है, तब कुछ पुलिसवाले पीड़ित परिवार को एक ऐसे वकील पूनम चंद सोलंकी (मनोज बाजपेई) के पास भेजते हैं, जो अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर है। यहां से आगे यह जंग बाबा वर्सेज एडवोकेट सोलंकी में तब्दील हो जाती है। क्या एक अदना सा वकील बाबा से टक्कर लेकर पीड़िता को न्याय दिला पाता है? यह आपको फिल्म देखकर पता लगाना होगा।

‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ का ट्रेलर

‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ मूवी रिव्‍यू

डायरेक्टर अपूर्व सिंह कार्की ने लेखक दीपक किंगरानी की सत्य घटना से प्रेरित कहानी पर सधी हुई फिल्म बनाई है। करीब सवा दो घंटे की यह फिल्म आपको पूरी तरह बांधकर रखती है। हालांकि फिल्म में ज्यादातर दृश्य कोर्टरूम के ही हैं, बावजूद इसके फिल्म में मनोज बाजपेयी के किरदार के कई शेड्स दिखाए गए है।

फिल्म के लेखक दीपक ने मनोज के किरदार को एक काबिल वकील के अलावा एक बेटे और एक पिता के रूप में भी डवलप किया है। फिल्म की सबसे खास बात यह है कि एक सामान्य वकील को एकदम सामान्य अंदाज में दिखाया गया है। वह एक पुराने स्कूटर से कचहरी जाता है। बेटे को स्कूल भी छोड़ता है। वह बाबा की पैरवी करने आए बड़े और नामी वकीलों से प्रभावित जरूर होता है, लेकिन अपने तर्कों के दम पर उन्हें चुप भी करवा देता है।

पिछले कुछ अरसे में फिल्मों से लेकर वेब सीरीज तक में मनोज वाजपेई ने अपनी छाप छोड़ी है। एक बार फिर वह अमूमन नीरस मानी जाने वाली कोर्टरूम आधारित फिल्म में अपनी बेहतरीन एक्टिंग से जान डाल दी है। वह न सिर्फ अपने चेहरे और हाव भाव, बल्कि बॉडी लैंग्‍वेज से भी वकील के किरदार में रमे नजर आते हैं। खासकर क्लाईमैक्स में अदालत में दी गई उनकी क्लोजिंग स्पीच आपको स्तब्ध कर देती है।

मनोज के अपोजिट केस लड़ने वाले विपिन शर्मा ने अच्छी एक्टिंग की है, लेकिन बाकी दूसरे बड़े वकीलों का रोल करने वाले किरदार उतने नहीं जमे।

क्‍यों देखें- अगर आपने बहुत अरसे से बेहतरीन एक्टिंग से सजी कोई अच्छी फिल्म नहीं देखी है, तो इस फिल्म को मिस ना करें।



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