‘रेडिफमेल’ को दिए इस ताजा इंटरव्यू में Adah Sharma कहती हैं कि उनकी खुद की जिंदगी बीते 12 दिनों में बदल गई है। वह कहती हैं, ‘मैं यह देख रही हूं कि देश के युवाओं को हमारी यह फिल्म बहुत पसंद आ रही है। पिछले हफ्ते में मैंने चार बार एयरपोर्ट से उड़ान भरी। जब मैं पहले एयरपोर्ट पर होती थी तो फैंस मुझसे ‘1920’ और ‘कमांडो’ के बारे में बात करते थे। लेकिन अब मांएं मेरे पास आती हैं, उनकी आंखों में आंसू होते हैं, वह फिल्म के जरिए सबकी आंखें खोलने के लिए मुझे धन्यवाद देती हैं। मैं यंग लड़कियों से मिलती हूं, जिन्हें द केरल स्टोरी कूल लगती है।’
‘द केरल स्टोरी’ में अदा शर्मा
‘लोगों ने 4-5 बार देखी है द केरल स्टोरी, उन्हें याद हैं हर डायलॉग’
अदा शर्मा आगे कहती हैं, ‘एयरपोर्ट पर मुझसे यंग लड़के मिलते हैं, जो पहले ही चार-पांच बार फिल्म देख चुके हैं। वो कई खास सीन्स और डायलॉग्स का जिक्र करते हैं। मैं यही कहना चहूंगी कि The Kerala Story अब सिर्फ एक और फिल्म नहीं है, बल्कि यह एक आंदोलन बन गया है। यह मेरे लिए भी अलग था, क्योंकि पहली बार मैं एक असल जिंदगी पर आधारित कहानी पर फिल्म कर रही थी। शालिनी उन्नीकृष्णन उर्फ फातिमा बा नाम की एक ऐसी लड़की, जिसने असल में उस खौफ को झेला है। आतंक से गुजरी है।’

शालिनी उन्नीकृष्णन के रोल में अदा शर्मा
‘मैं उन बहादुर लड़कियों से मिली हूं, जिन्होंने ये सब झेला है’
अदा शर्मा ने इंटरव्यू के दौरान यह भी खुलासा किया कि वह उन लोगों से मिली हैं और उनसे बातचीत की है, जो स्क्रीन पर दिखाए गए हैं। अदा ने कहा, ‘मैं कुछ बहुत बहादुर लड़कियों से मिली जो अपनी आपबीती के बारे में इंटरव्यू दे रही हैं। बेशक, ये वो लड़की नहीं है, जिसका किरदार मैंने फिल्म में निभाया है, क्योंकि शालिनी अभी भी अफगानिस्तान की जेल में है। मुझे लगता है कि फिल्म के अंत में मलयालम में खुद को फांसी लगाने वाली बेटी की मां ने जिस तरह से शुक्रिया कहा है, वह दिल को छू लेने वाला था।’
विरोध करने वालों को अदा की दो टूक- प्रोपेगेंडा है, ये कौन तय करता है
‘द केरल स्टोरी’ का विरोध करने वालों और इस विवाद को हवा देने वालों पर भी अदा ने निशाना साधा है। एक्ट्रेस ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘यह कहना बड़ा असान है कि ये ‘प्रोपेगेंडा’ है, लेकिन कौन तय करता है? मुझे पता है कि कुछ लोग कह रहे हैं कि लड़कियां बहुत आसानी से जाल में फंस जाती हैं। लेकिन क्या जब हम सब प्यार में होते हैं, तो क्या हमने बेवकूफी भरे फैसले नहीं लिए हैं?’