ऐसा माना जाता है कि नियमित शारीरिक व्‍यायाम हमारे हृदय के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभकारी होता है। नियमित व्‍यायाम करने से हृदय रोगों का जोखिम घटता है और नतीजतन, हृदय संबंधी कारणों से मौतें कम होती हैं। शारीरिक रूप से सक्रिय लोगों का रक्‍तचाप (Blood Pressure) भी कम रहता है, इंसुलिन सेंसिटिविटी अधिक होती है और उनकी अधिक अनुकूल प्‍लाज्‍़मा लिपोप्रोटीन प्रोफाइल होती है। व्‍यायाम के असर से कार्डियाक आउटपुट बढ़ता है जिससे ब्‍लड प्रेशर कम होता है, रेस्टिंग हार्ट रेट (शरीर के आराम करते समय हृदय गति) घटती है और कार्डियाक हाइपरट्रॉफी भी कम होती है।

हार्ट हेल्थ के लिए क्यों जरूरी है एक्सरसाइज 

हालांकि मॉडरेट एक्‍सरसाइज़ का संबंध हृदय रोगों का जोखिम कम करने से है, लेकिन यह भी देखा गया है कि लगातार अधिक व्‍यायाम (जैसे मैराथन) करने से आपके हृदय की सेहत पर खराब असर भी पड़ सकता है। व्‍यायाम के कार्डियोवास्‍क्‍युलर लाभ के साथ-साथ लाइफस्‍टाइल में जरूरी बदलाव और आहार पर नियंत्रण करने के लाभ केवल व्‍यायाम करने से अधिक होते हैं।

जो मरीज़ नियमित रूप से व्‍यायाम नहीं कर पाते या लाइफस्‍टाइल दुरुस्‍त करने संबंधी सलाह/दवाओं का पालन नहीं कर पाते, उनके मामले में कार्डियो-मैटाबोलिक रोगों के प्रबंधन के लिए फार्माकोलॉजिकल हस्‍तक्षेप जरूरी होते हैं।

नियमित रूप से एक्सरसाइज नहीं करना और बहुत अधिक एक्सरसाइज करना दोनों हार्ट अटैक को बुलावा देते हैं। चित्र : एडोबी स्टॉक

स्‍वस्‍थ हृदय के लिए व्‍यायाम संबंधी सलाह

  1. हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट की मॉडरेट-इंटेंसिटी की ऐरोबिक गतिविधि या हर हफ्ते 75 मिनट की तेज/गहन ऐरोबिक गतिविधि, या दोनों का मेल पूरे हफ्ते चलते रहना स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से फायदेमंद है।
  2. हफ्ते में कम से कम 2 दिन मांसपेशियों को मजबूती देने वाले मॉडरेट से हाइ-इन्टेन्सिटी व्‍यायाम अवश्‍य करें।
  3. बैठने से जितना हो सके बचें। हल्‍का-फुल्‍का व्‍यायाम या कोई भी शारीरिक गतिविधिया भी बिना किसी हरकत किए बैठे रहने से बेहतर होती है।
  4. हर हफ्ते कम से कम 300 मिनट (5 घंटे) एक्टिव रहना आपके लिए ज्‍यादा फायदेमंद होता है।
    समय के साथ धीरे-धीरे गतिविधियों की मात्रा और गहनता (इन्‍टेन्सिटी) दोनों बढ़ाएं।

स्‍वस्‍थ दिल के लिए अलग-अलग प्रकार के शारीरिक व्‍यायाम :

1. ऐरोबिक व्‍यायाम (“कार्डियो व्‍यायाम”):

ऐरोबिक व्‍यायाम मरीज़ों की कार्डियोवास्‍क्‍युलर फिटनेस और स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी अन्‍य फायदों की दृष्टि से महत्‍वपूर्ण होते हैं। ये शारीरिक गतिविधियों के अभाव और उसके परिणामस्‍वरूप कार्यप्रणालियों में आयी गिरावट के दुष्‍टचक्र को तोड़ते हैं, और पिछले दशक के दौरान क्‍लीनिशियनों और शोधकर्ताओं ने इन पहलुओं पर काफी ध्‍यान दिया है। रनिंग, जॉगिंग और बाइकिंग वास्‍तव में, सामान्‍य से अत्‍यधिक तीव्र व्‍यायाम के कुछ उदाहरण हैं।

सामान्‍य-इन्टेन्सिटी की ऐरोबिक गतिविधियां :

• तेज कदमों से सैर (कम से कम 2.5 मील प्रति घंटा)
• वॉटर ऐरोबिक्‍स (तैराकी)
• डांसिंग (बॉलरूम या सोशल)
• बागवानी
• टेनिस (डबल्‍स)
• प्रति घंटा 10 मील से कम रफ्तार से बाइकिंग

तेज-रफ्तार ऐरोबिक गतिविधियां 

• पहाड़ी पर चढ़ना या भारी बैकपैक के साथ चलना
• दौड़ना
• तैराकी लैप्‍स
• ऐरोबिक डांसिंग
• बगीचे में भारी काम जैसे लगातार खोदना या कुदाली चलाना
• टेनिस (सिंगल्‍स)
• 10 किलोमीटर प्रति घंटा या कम की रफ्तार से साइकिल चलाना
• रस्‍सी कूदना

2. स्‍ट्रेन्‍थ परफॉर्मेंस के लिए स्‍ट्रैचिंग व्‍यायाम

हमारे मस्‍क्‍यूस्‍केलटल सिस्‍टम (मांसपेशी-कंकाल प्रणाली) के लिए स्‍ट्रैचिंग अच्‍छा व्‍यायाम है जो शरीर की ताकत और लंबे समय तक व्‍यायाम के लिए बेहतर शाीरिक प्रदर्शन में मददगार होती है। मांसपेशियों की नियमित स्‍ट्रैचिंग और स्‍ट्रैन्‍थनिंग से कार्डियाक आउटपुट बेहतर होता है, ब्‍लड प्रेशर भी नियंत्रित होता है और साथ ही, मांसपेशियों की टोनिंग भी होती है।

अलग-अलग प्रकार की स्‍ट्रैचिंग :

• बैलिस्टिक स्‍ट्रैचिंग में गतिशील शरीर या हाथ/पैर की गतिशीलता का उपयोग कर उसे आम रेंज से अधिक खींचने का प्रयास किया जाता है।
• एक्टिव स्‍ट्रैचिंग को भी स्‍टेटिक-एक्टिव स्‍ट्रैचिंग कहते हैं। एक्टिव स्‍ट्रैचिंग उसे कहते हैं जब आप एक स्थिर स्थिति में होते हैं और वहीं अपनी मांसपेशी की ताकत के दम पर उसे बिना किसी बाहरी सहारे के रोके रहते हैं।
• पैसिव स्‍ट्रैचिंग को रिलैक्‍स्‍ड स्‍ट्रैचिंग भी कहते हैं, और स्‍टेटिक-पैसिव स्‍ट्रैचिंग भी कहा जाता है। पैसिव स्‍ट्रैच तब होता है जब किसी खास स्थिति को शरीर के किसी अन्‍य भाग की मदद से रोकते हैं, या पार्टनर अथवा किसी वस्‍तु/उपकरण आदि की सहायता लेकर स्‍ट्रैचिंग को होल्‍ड करते हैं।
• इसोमीट्रिक स्‍ट्रैचिंग उस स्‍टेटिक स्‍ट्रैचिंग (यानि इसमें गति का इस्‍तेमाल नहीं होता) को कहते हैं जिसमें स्‍ट्रैच्‍ड मांसपेशियों के इसोमीट्रिक संकुचन के जरिए मांसपेशियों के समूहों का प्रतिरोध होता है।

Yoga aur meditation bhi heart health ke liye faydemand hain
योग और ध्यान भी हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद हैं। चित्र : शटरस्टॉक

3. योग एवं ध्‍यान 

यह एक प्राचीन भारतीय पद्धति है जो शारीरिक लचीलेपन, मानसिक एकाग्रता पर ध्‍यान केंद्रित करते हुए शारीरिक गतिविधि और ध्‍यान का मेल कराती है। योग थेरेपी दुनियाभर में लोकप्रिय हो रही है। इसमें पारंपरिक तौर पर ध्‍यान, प्राणायाम और आसनों की विभिन्‍न क्रियाओं के दौरान खास तरीके से सांस लेना शामिल हे और व्‍यायाम एवं शवासन आदि की इन तकनीकों का मेल कार्डियोवास्‍क्‍युलर रोगों के जोखिम को कम करने में सहायक है।

निष्‍कर्ष: हमें मालूम है कि व्‍यायाम से हृदय गति, रक्‍तचाप, इंसुलिन प्रतिरोध कम होता है और हृदय भी बेहतर ढंग से काम करता है, लिपिड और ग्‍लूकोज़ मानकों में सुधार होता है और कुल-मिलाकर, कार्डियोवास्‍क्‍युलर रोगों से हमारा बचाव होता है। लेकिन अभी इस बारे में और अधिक अध्‍ययनों की आवश्‍यकता है जो स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी लाभ के लिए इन व्‍यायामों को मरीज़-केंद्रित संदर्भों में रखकर और पड़ताल कर सकें।

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