शायद किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे अच्छा और सबसे रिलैक्सिंग पल वही होता है, जब वो दिन भर की तमाम परेशानियों को भूल कर भोजन करता है। साथ ही अक्सर आपने ये भी सुना होगा कि ‘हमें जितनी भूख (food) हो, उतना ही खाना चाहिए’। लेकिन आजकल के ‘मॉडर्न’ और बदलते युग में लगातार बढ़ती भागदौड़ और दैनिक जीवन में अलग-अलग तरह के कामकाज के चलते ये बात बिलकुल गलत साबित हो गई है।
एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स के मुताबिक़ यदि हम अपनी भूख से थोड़ा कम खाते हैं, तो इससे हमें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में काफी मदद मिलती है और साथ ही खाना खाने के तुरंत बाद होने वाली पेट संबंधी समस्याओं से भी हमें मुक्ति मिलती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स ? (Experts On Eating Less Food)
खाना (food) खाने की कैपिसिटी और उससे होने वाली समस्याओं के बारे में बात करते हुए प्रण हेल्थकेयर सेंटर की संस्थापक डॉ. डिंपल बतातीं हैं कि हमें हमेशा अपनी भूख से कम ही खाना चाहिए। ऐसा करने से हम अपच, पेट फूलना और पेट में एसिड बनने जैसी समस्याओं से काफी दूर रहेंगे और साथ ही ऐसा करने से हम लंबे समय तक स्वस्थ भी रहेंगे।
खाने की मात्रा और कैपेसिटी पर बात करते हुए डॉ. डिंपल कहतीं हैं कि हमें हमेशा अपनी भूख का 80 प्रतिशत ही खाना चाहिए और पेट के 20 प्रतिशत भाग को खाने के साथ होने वाली क्रियाओं के बाद पैदा होने वाले ‘जुसेस’ के लिए छोड़ देना चाहिए।
कम खाना हमेशा से ही स्वस्थ (Eating Less Food Is Healthy )
अक्सर आपने अपनी दादी-नानी से सुना होगा कि हमें थोड़ा कम खाना चाहिए। हमारे बड़े अक्सर इस बात पर दबाव इसलिए डालते थे, क्योंकि उन्हें उससे होने वाले स्वास्थ्य फायदों के बारे में बहुत जानकारी होती थी।
1 उनको होता था पारंपरिक ज्ञान
दादी-नानी के समय में आहार की परंपराएं और ज्ञान आम होते थे और वे जानते थे कि कैसे भूख से कम खाकर भी स्वास्थ्य को बनाए रखा जाता है। इसलिए ही हमेशा से वे बात किया करते थे।
2 आयुर्वेद भी देता है यही सुझाव
आयुर्वेदिक चिकित्सा में भूख से कम खाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह शरीर के पाचन प्रक्रिया में भी मदद करता है।
3 बढ़ता था आत्म-नियंत्रण
दादी-नानी अक्सर कम खाने के लिए इसलिए और कहतीं थी क्योंकि ऐसा करने में स्वास्थ्य के साथ-साथ विवेकशीलता भी बढ़ती थी।
4 व्रत भी होता था सहायक
दादी-नानी अक्सर हमसे व्रत और उपवास करने के लिए कहतीं हैं क्योंकि ऐसा करने से शरीर डेटॉक्स होता था और साथ ही हमारे शरीर को भूख से लड़ने में भी काफी मदद मिलती थी।
हो सकता है कि आपको भी ये बातें पौराणिक लग रहीं हो लेकिन आज आजकल एक्सपर्ट्स भी साइंटिफिक तर्क देकर भूख से कम खाने की सलाह ही देतें हैं।
क्या हैं ज्यादा खाना खाने के नुकसान
आसान भाषा में पेट और उसकी फंक्शनिंग पर बात करते हुए डॉ.डिंपल ने बताया कि हमारा पेट एक ‘ब्लेंडर’ की तरह होता है, जैसे अगर हम ब्लेंडर को पूरा भर दें तो वो काम नहीं करेगा वैसे ही अगर हम अपने पेट को भी पूरा भर दें तो खाने के बाद होने वाली डाइजेस्टिव प्रोसेस में पैदा होने वाले जूस, पानी और हवा के लिए जगह ही नहीं बचेगी और इसी कारण से हमें तमाम पेट-संबंधी बीमारियां होना शुरू हो जाएंगी।
साथ ही उन्होनें कहा कि मान लीजिए अगर आपको चार रोटी की भूख हैं तो सिर्फ तीन रोटियां ही खाइये और पेट को थोड़ा खाली जरूर छोड़े।
खाने के बाद जरूरी है पैदल चलना
अपनी सेहत को और बेहतर बनाये रखने के लिए डॉ. डिंपल ने बताया कि हमें हमेशा खाना (food) खाने के बाद कम से कम 100 कदम तो पैदल चलना ही चाहिए। पैदल चलने से खाना शरीर के निचले हिस्से में बैठ जाता है और साथ ही इससे खाने के पाचन में काफी सुविधा मिलती है।
करें योग
खाने के पाचन प्रक्रिया को और सुचारु बनाने के लिए हमे योग करना चाहिए। डॉ. डिंपल बताती हैं कि खाने के पाचन के लिए हमें वज्रासन करना चाहिए। वज्रासन करने से खाना हमारे शरीर में लगता है और पाचन बेहतरीन ढंग से होती है।
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