ओरल हाइजीन को लेकर लोग आमतौर पर बेहद सतर्क रहते हैं। मगर फिर भी दांतों का टूटना, पीलापन और मसूड़ों की समस्या पैदा हो जाती है। अधिकतर लोग इन लक्षणों को उम्र से जोड़कर देते हैं। उनके मुताबिक उम्र बढ़ने से उसका प्रभाव दांतों पर दिखने लगता है। वहीं दूसरी ओर अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के रिसर्च में एक ऐसा खुलासा किया गया है कि जिसमें ओरल हेल्थ को मेंटल हेल्थ से जोड़कर देखा गया। यानि अगर आप मानसिक तौर पर परेशान है या किसी दुविधा में रहते हैं, तो उसका सीधा असर आपके दांतों पर दिखने लगता है (Connection between oral and mental health)।
ओरल और मेंटल हेल्थ पर रिसर्च
हाल ही में अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के मेडिकल जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक मेंटल हेल्थ और ओरल हेल्थ के बीच कनेक्शन को बताया गया है। रिसर्च की मानें, तो दांतों में दर्द से लेकर टूटने तक की समस्या हिप्पोकैम्पस के श्रिंक होने पर भी निर्भर करता है। दरअसल, हिप्पोकैम्पस दिमाग का एक काम्पोनेंट है। इससे हमें नई चीजों को सीखने और पुरानी चीजों को याद रखने में काफी हद तक मदद मिलती है। इसके सिकुड़ने से हमारी याददाश्त पर इसका प्रभाव दिखने लगता है।
रिसर्च में किन बातों का ख्याल रखा गया
इस संभावना को पुख्ता करने के लिए किए गए शोध में 172 पार्टिसिपेंट को शामिल किया गया। खास बात ये रही कि सभी की उम्र 67 वर्ष के आसपास ही थी। इसके लिए सभी का बारी बारी से डेंटल चेकअप और मेमोरी टेस्ट दोनों किए गए। मेमोरी टेस्ट के दौरान हिप्पोकैम्पल यानि ब्रेन कॉम्पोनेंट के स्तर की जांच की गई। वहीं ओरल चेकअप में दांतों की गिनती से लेकर रूटस की डीपनेस को भी चेक किया गया। आमतौर पर मसूड़े एक से तीन मिलीमीटर डीप पाए जाते हैं।
ब्रेन के लेफ्ट हिस्से को करती है प्रभावित
दिमाग के बाएं हिप्पोकैम्पस में आने वाले चंजिज को टीथ की संख्या और गम्स प्रोबलम्स से जोड़ कर देखा जा रहा है। इस रिसर्च के हिसाब से ऐसा पाया गया है कि लोगों में आमतौर पर गम्स प्रोब्लम रहती है। वे लोग जिन्में ये समस्या माइल्ड होती है और जिनके दांत टूटे भी है। दांतों की घटती संख्या इस ओर इशारा करता है कि हिप्पोकैम्पस में सिकुड़न आ रही है, जो मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचाने का काम करता है।

इसके अलावा रिसर्च में इस बात पर भी गौर किया गया कि गम्स की प्रोब्लम्स के चलते टूटने वाला हर दांत ब्रेन की लाइफ को 1 साल और बूढ़ा कर देता है। ब्रेन को हेल्दी रखने के लिए ओरल हाइजीन से जुड़ी किन बातों का ख्याल रखने की सलाह दी जाती है
1. ब्रश करना है ज़रूरी
दिन में दो बार ब्रश अवश्य करें। सोने से पहले और सुबह उठते ही रूटीन में ब्रश करना ज़रूरी है। इसके अलावा दांतों में मौजूद सड़न से मुक्ति पाने के लिए हर 3 से 4 महीनों में ब्रश का रिप्लेस करें। पुराना ब्रश दुर्गंध और दांतों की समस्याओं का कारणर साबित होने लगता है।
2. माउथवॉश करें प्रयोग
ब्रशिंग और फलॉसिंग के अलावा माउथवॉश आपकी सांसों को ताज़गी और ठण्डक पहुंचाता है। इसकी मदद से आप दांतों में मौजूद बैक्टीरिया को बाहर निकाल पाने से सफल होते हैं। ब्रश करने के बाद इसका प्रयोग अवश्य करें।

3. नियमित डेंटल चेकअप करवाएं
नियमित तौर पर डेंटल चेकअप करवाएं और मसूड़ों में होने वाली छोटी मोटी तकलीफ को भी एजिंग साइन समझकर नज़रअंदाज़ करने की भूल न करें। दरअसल, दांतों की समस्या को महत्व न देने के चलते वो एक के साथ अन्य दांतों को भी घेर लेती है।
4. डाइट का रखें ख्याल
अगर आप दांतों को मज़बूती प्रदान करना चाहते है, तो खाने और तरल पदार्थों में शुगर और स्वीटनर्स के इस्तेमाल से बचें। इसके अलावा दांतों की हेल्थ के लिए बैलेंसड डाइट लें। डाइट में कैल्शियम और फायफोरस की भरपूर मात्रा लें। इससे ओरल हाइजीन कोमेंटेन किया जा सकता है और आंत भी हेल्दी बनते हैं।
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