Indian Economic system: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी के दामों में गिरावट और नए खरीफ फसल के बाजार में आने के बाद महंगाई से आम लोगों को राहत मिल सकती है. वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ( Deaprtment Of Financial Affairs) ने अपना मंथली इकोनॉमिक रिव्यू ( Month-to-month Financial Overview) जारी किया है जिसमें ये बातें कही गई है. वित्त मंत्रालय ( Finance Ministry) के इस रिपोर्ट में में कहा गया है कि वैश्विक ग्रोथ में गिरावट, उच्च महंगाई और बिगड़ते वित्तीय हालात के चलते वैश्विक मंदी ( International Recession) आने का खतरा बढ़ गया है.
इकॉनमिक एक्टिविटी पर असर
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि उच्च महंगाई दर के चलते कई विकसित देशों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगे कर्ज और उच्च महंगाई दर का असर ग्लोबल इकॉनमिक एक्टिविटी पर पड़ा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाई महंगाई
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के आने के बाद घरेलू और ग्लोबल कारणों के चलते भारत में महंगाई के डायनमिक्स पर बड़ा असर पड़ा है. 2020 में ग्लोबल कमोडिटी प्राइसेज में गिरावट के चलते होलसेल महंगाई दर में कमी देखी गई. कोरोना महामारी के चलते जो बंदिशें लगाई गई उसके चलते खुदरा महंगाई में इस दौरान तेजी देखी गई. लेकिन 2021 में सप्लाई चेन में दिक्कतों के कारण ग्लोबल कमोडिटी के कीमतों में तेजी आई. 2022 में रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद कमोडिटी के दामों में जबरदस्त उछाल देखा गया.
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बढ़ेगी न्यू हायरिंग
रिपोर्ट में आने वाली खुशखबरी की तरफ भी इशारा किया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना बंदिशों के हटने और फेस्टिव सीजन में सेल्स के वॉल्यूम को देखकर कहा जा सकता है कि नए बिजनेस हायरिंग के चलते आने वाले दो तिमाही में कंपनियों की तरफ से जबरदस्त हायरिंग देखने को मिल सकती है.
घरेलू डिमांड से मिलेगा सहारा
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक स्लोडाउन के चलते भारत के एक्सपोर्ट में गिरावट आ सकती है. हालांकि मजबूत घरेलू डिमांड, निवेश और स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स के चलते आर्थिक विकास को गति देने में मदद मिलेगी.
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