Picture:AP Wheat

मार्च अप्रैल की बारिश और गर्मी के चलते शुरुआत में धीमी पड़ी गेहूं की खरीद अब बुलेट ट्रेन की रफ्तार से जारी है। अप्रैल समाप्त होने से पहले ही सरकार ने रिकॉर्ड खरीद कर डाली है। सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि अप्रैल से शुरू हुए चालू विपणन वर्ष में अब तक गेहूं की खरीद 195 लाख टन तक पहुंच गई है, जो पिछले साल की कुल खरीद स्तर से अधिक है। 

एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘आरएमएस (रबी विपणन सत्र) 2023-24 के दौरान गेहूं की खरीद पहले ही रबी विपणन सत्र 2022-23 की कुल खरीद स्तर को लांघ चुका है।’’ रबी विपणन सत्र अप्रैल-मार्च तक चलता है, लेकिन थोक खरीद अप्रैल और जून के बीच होती है। बयान में कहा गया है, ‘‘रबी विपणन सत्र 2022-23 में, खरीद 188 लाख टन गेहूं की हुई थी जबकि 26 अप्रैल, 2023 तक, रबी विपणन सत्र 2023-24 के दौरान गेहूं की खरीद 195 लाख टन की हुई है। 

बयान में कहा गया है, ‘‘इससे काफी हद तक किसानों को फायदा हुआ है। चल रहे गेहूं खरीद कार्यों के दौरान लगभग 41,148 करोड़ रुपये का एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पहले ही लगभग 14.96 लाख किसानों को दिया जा चुका है।’’ इस खरीद में प्रमुख योगदान तीन गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से क्रमशः 89.79 लाख टन, 54.26 लाख टन और 49.47 लाख टन की खरीद के साथ हुआ है। 

बयान में कहा गया है, ‘‘इस वर्ष अधिक खरीद में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में से एक, बेमौसम बारिश के कारण चमक में कमी को देखते हुए, खरीदे जा रहे गेहूं की गुणवत्ता विनिर्देशों में भारत सरकार द्वारा छूट देना है।’’ केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को बेहतर पहुंच के लिए पहले से मौजूद खरीद केंद्रों के अलावा ग्राम/पंचायत स्तर पर खरीद केंद्र खोलने और सहकारी समितियों/ग्राम पंचायतों/आढ़तियों आदि के माध्यम से भी खरीद करने की अनुमति दी है। 

इसके साथ ही धान खरीदी भी सुचारू ढंग से चल रही है। खरीफ विपणन सत्र 2022-23 के दौरान 26 अप्रैल, 2023 तक 354 लाख टन चावल की खरीद की जा चुकी है, जबकि 140 लाख टन चावल की खरीद की जानी अभी बाकी है। खरीफ विपणन सत्र अक्टूबर से अगले वर्ष के सितंबर महीने तक चलता है। 

खाद्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘केंद्रीय पूल में गेहूं और चावल का संयुक्त स्टॉक 510 लाख टन से अधिक हो गया है, जो देश को खाद्यान्न की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक आरामदायक स्थिति है।’’ 

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