<p>कोरोना महामारी के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था लगातार चुनौतियों का सामना कर रही है. भारत भी अपवाद नहीं है, भले ही बाकियों की तुलना में प्रदर्शन बेहतर रहा हो. अभी भी आर्थिक मोर्चे पर दुनिया के साथ-साथ भारत की चुनौतियां समाप्त नहीं हुई हैं. घरेलू मोर्चे पर जहां कई फैक्टर ग्रोथ को सपोर्ट करने वाले हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ बाहरी कारक जोखिम पैदा कर रहे हैं.</p>
<h3>सामने आ सकती हैं चुनौतियां</h3>
<p>वित्त मंत्रालय ने सोमवार को अप्रैल महीने की मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था के लिए आने वाले दिनों के परिदृश्य के बारे में चर्चा की. मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक स्तर पर चुनौतियों और मौसम के स्तर पर अनिश्चितताओं को देखते हुए आर्थिक वृद्धि के गिरने तथा महंगाई के बढ़ने का खतरा बना हुआ है. आर्थिक वृद्धि के सामने आ सकने वाले जोखिम के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम की अनिश्चितता और बाहरी कारकों से नुकसान हो सकता है. इसके चलते महंगाई बढ़ सकती है, जबकि आर्थिक वृद्धि की दर में गिरावट आ सकती है.</p>
<h3>पूरे साल का अनुमान जल्दीबाजी</h3>
<p>मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा है कि अप्रैल में पूरे साल के आर्थिक परिणाम के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. हालांकि, शुरुआत अच्छी हुई है. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये 2023-24 की शुरुआत पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही की मजबूत गतिविधियों के साथ हुई है. अप्रैल में माल एवं सेवा कर यानी जीएसटी के कलेक्शन का आंकड़ा बढ़ा है. आंकड़ों से पता चलता है कि टैक्स का दायरा भी बढ़ा है और आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि हुई है.</p>
<h3>इन आर्थिक आंकड़ों से सपोर्ट</h3>
<p>औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी आईआईपी और आठ बुनियादी उद्योगों के उत्पादन में वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में वृद्धि हुई है. इससे पहले, दो तिमाहियों में क्षमता उपयोग 75 फीसदी के आसपास रहा था. आर्थिक गतिविधियों में निरंतर वृद्धि तथा क्षमता उपयोग बढ़ने से कंपनियों ने नई क्षमता निर्माण को लेकर निवेश करना शुरू कर दिया है. पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन के साथ निर्माण/बुनियादी ढांचा सामान के क्षेत्र में 2022-23 की चौथी तिमाही में वृद्धि बनी रही है. विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की तरह कृषि क्षेत्र में भी संभावनाएं &nbsp;बेहतर बनी हुई है.</p>
<h3>खरीफ फसलों के लिए अच्छी स्थिति</h3>
<p>रिपोर्ट के अनुसार, मानसून सामान्य रहने के अनुमान, जलाशयों में पानी की अधिक उपलब्धता, बीज और उवर्रकों की बेहतर उपलब्धता तथा ट्रैक्टर की अच्छी बिक्री से खरीफ बुवाई मौसम के लिये बेहतर रहने की स्थिति का पता चलता है. बेमौसम बारिश के बावजूद गेहूं की सरकारी खरीद मजबूत रहना खाद्य सुरक्षा के लिहाज से अच्छा है. गांवों में मांग भी बढ़ रही है. यह 2022-23 की चौथी तिमाही में दैनिक उपयोग के सामान बनाने वाली कंपनियों की मजबूत बिक्री और अप्रैल महीने में दोपहिया व तिपहिया वाहनों की लगातार 10 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि से पता चलता है.</p>
<h3>बढ़ रही है ग्रामीण अर्थव्यवस्था</h3>
<p>वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि आने वाले समय में खरीफ मौसम में बेहतर संभावना, फसलों के लिये उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकार की बजटीय खर्च में वृद्धि से किसानों की आय बढ़ेगी, जिससे अंतत: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. निर्यात के बारे में वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के चलते कपड़ा और सिले-सिलाये परिधानों की वैश्विक उपस्थिति बेहतर हो रही है.</p>
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